देश प्रेम
देश प्रेम
राहुल आज भी सुबह देर तक सोता रहा ।जबकि उसका छोटा भाई राम सुबह भोर से जाग रहा था।माँ को अपनी देशभक्ति की कविता कई बार सुना चुका था।आज 15अगस्त जो है।
दादा-दादी उसकी देशभक्ति के प्रति प्रेम को देखकर गदगद हो रहें थे।
मगर राहुल को उसका जोर -जोर से कविता पढ़ना उसकी नींद में बाँधा डाल रहा था।राहुल उठकर राम को गुस्से में डांट देता है।राम रोता हुआ हाथ में झंडा लेकर अपने दादाजी के पास चला जाता है।
दादाजी को, राहुल का राम को यूँ डांटना अच्छा नहीं लगता।वह राहुल को अपने पास बुलाते है।और प्यार से समझाते है।
दादाजी-राहुल! "हर इंसान के मन में अपने देश के लिए प्रेम होना चाहिए।।जो आज हम सुरक्षित जिन्दगी जी रहें है। उन देशभक्तों के बलिदान का त्याग था।जिन्होंने हँसते हुए देश की स्वतंत्रता के खातिर अपने सीने पर गोलियां खाई।और शहीद हो गयें धरती माँ को पराधीनता की बेडियाँ से मुक्त कराने के लिए।"
राहुल-"सच! दादाजी"
दादाजी-"हाँ बेटा,उनमें से एक मेरे पिताजी भी थे।जिन्होंने आज़ादी के लड़ाई में अपना सर्वस्व वार दिया था।मैं भी उनके नक्शे क़दम पर चला।और देश की सीमा पर दुश्मनों से लड़ते हुए अपने पैर गँवा बैठा।पर मुझे आज भी फर्क है कि मैं देश के किसी काम तो आया।"दादाजी अपना गर्व से सीना चौड़ा करके मुस्कुराते है।
राहुल को दादाजी की बात समझ आ जाती है।और वह राम से अपनी ग़लती के लिए माफी माँगता है।और खुद भी उसके साथ मिलकर देशभक्ति का गीत गाते है।
"मेरा रंग दे बसंती चोला,माये रंग दे बसंती चोला"
और दोनों मिलकर टी.वी.पर 15 अगस्त की परेड देखते हुये खुश होते।
राहुल और राम दोनों एक साथ कह उठते है," कि हम भी देश की सेवा करेगे दादाजी ।"