देश के अलग अलग राज्य में होली
देश के अलग अलग राज्य में होली
रंग और उल्लास के लिए विश्वभर में विख्यात पर्व होली वैसे तो पूरे भारत में और पड़ोसी देश नेपाल में हिन्दू पंचांग के अनुसार मनाया जाता है।पूरा देश इसके रंग में अपने को डुबो लेता है पर देश के अनेक राज्यों में यह अलग अलग नामों से भी मनाया जाता है। जिसको जानकर हम इस पर्व को और अधिक अच्छी तरह समझ सकते हैं।
उत्तर प्रदेश में होली बड़े हर्ष और उल्लास से होली के नाम से मनायी जाती है।पहले दिन रात को होलिका दहन होता है।अगले दिन प्रतिपदा को रंग गुलाल एक दूसरे को लगाते हैं।शाम को स्नान कर नये कपड़े पहनकर मन्दिरों में जाते हैं।उसके बाद एक दूसरे के घरों में जाकर गले मिलते हैं।प्रणाम कर बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं होली के प्रमुख पकवान गुझिया खाते हैं।यहां के ब्रज की लट्ठमार होली बड़ी प्रसिद्ध है।
उत्तराखण्ड के कुमाऊँ में होली का पर्व लगभग पन्द्रह दिन पहले आरम्भ हो जाता है।बैठकर बैठकी होली और खड़े होकर खड़ी होली गायी जाने ल गती है।यह पूरी तरह शास्त्रीय संगीत होता है।वाद्ययंत्र गायन के साथ चलते हैं।यहां पर मुख्य होली पर दो दिन रंग गुलाल चलता है।गांव की टोलियां घर घर जाकर खड़ी होली गाती हैं।घर का मुखिया सभी होलियारों का स्वागत सत्कार करता है और होली के अवसर के पकवान खिलाता है।
हरियाणा कहते हैं कि यहां होली का आना देवरों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है।जी हां उसका कारण है होली के अगले दिन धुलंडी वाले दिन भाभियों के द्वारा अपने देवर को सताया जाता है।उसको रंग गुलाल लगाने की प्रथा है।
बंगाल में होली को आम जनमानस दोल जात्रा के रूप में इस पर्व को मनाता है।उसका कारण है यहां पर महान सन्त चैतन्य महाप्रभु के जन्म दिवस को इस पर्व से जोड़ देना।जिससे इस त्यौहार का उत्साह दुगुना हो जाता है।
मध्यभारत और महाराष्ट्र में यह पर्व रंग पंचमी के रूप में मनाते हैं।लगभग पन्द्रह दिन पहले से यहां पर तैयारी आरम्भ हो जाती है और एक दूसरे को सूखा गुलाल लगाते हैं।
पंजाब में त्यौहारों की अपनी ही शान है।ऐसा ही कुछ इस त्यौहार में भी दिखाई देता है। यहां होली को होला मोहल्ला के नाम से मनाते हैं और इस दिन शक्ति प्रदर्शन भी करते हैं जोकि यहां की मुख्य परम्परा है।
तमिलनाडु जोकि दक्षिण का महत्वपूर्ण राज्य है।यहां पर इस पर्व को कामदेव की कथा से जोड़कर देखा जाता है।कामदेव का एक नाम वसन्त है।अतः यहां वसन्त उत्सव को तमिल भाषा में कमन पोडिगई के रूप् में मनाते हैं।
गोवा देश में परम्पराओं की दृष्टि से आधुनिकतम राज्य है।जिसकी विदेशी तक प्रशंसा करते हैं।यहां पर होली को शिमगो के नाम से मनाते हैं और यहां पर इस दिन जुलूस निकालते हैं।उसके बाद मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
मणिपुर हरियाली से भरपूर हिमालय के पूर्वी राज्य ही नहीं है अपितु अपनी परम्पराओं पर्वों को मनाने के तौर तरीकों से अलग पहचान भी बनाये है।यहां यह पर्व मणिपुरी में योगसांग में पूर्णिमा के हर गांव नगर नदी सरोवर आदि के किनारे हर्षोल्लास से मनाया जाता है।योगसांग को हिन्दी में कहते हैं छोटी झोपड़ी जी हां यहां पर पहले सब लोग छोटी छोटी झोपड़ियों का निर्माण करते हैं फिर उसमें मनाते हैं।सामान्यतः यह झोपड़ियां नदी तालाबों के किनारे पर बनायी जाती हैं।
हिमाचल की होली के अपने रंग हैं यहां कुल्लू की होली विश्व प्रसिद्ध है जोकि महीने भर तक मनायी जाती है।यहां बर्फ की होली भी पर्यटकों द्वारा कुछ सालों से खेली जाने लगी है।बिना रंग की होली जैनी लोग कांगड़ा में मनाते हैं।
अरुणाचल में होली का अन्दाज किसी को भी दीवाना बना देता है यहां पर होली को न्योकुम कहते हैं। जिसमें होली की होने वाला हुड़दंग बिल्कुल नहीं है।पारम्परिक ढ़ंग से पूरा गांव मिलकर मनाता है।यहां का पर्व होली से कुछ पहले हो जाता है।यह लोग होलिका दहन की तर्ज पर अपने घरों की सभी पुरानी चीजों को जला देते हैं।मान्यता है कि इससे घर में फैली नकारात्मक शक्तियों और बुराईयों का अन्त होता है।
इसके अलावा दक्षिण गुजरात के आदिवासियों में होली सबसे बड़ा पर्व है।छत्तीसगढ़ में होली पर लोकगीतों की परम्परा है।मध्यप्रदेश के मालवा के पठारी क्षेत्र में आदिवासी भगोरिया के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।बिहार में होली पर फगुआ गा-गाकर मस्ती करते हैं।जम्मू और कश्मीर में होली को होली के रूप में बड़े उल्लास से मनाते हैं मन्दिरों में विशेष आयोजन होता है।एक दूसरे के रंग गुलाल लगाते हैं।शोभायात्रायें निकाली जाती हैं।पुंछ राजौरी कठुआ और जम्मू में होली का विशेष आकर्षण रहता है।केरल में मंजलकुली के नाम से मनाते हैं।
तो इस तरह हमारे देश की विविधता में एकता जैसे प्रसिद्ध है।ठीक वैसा ही राज्यों में होली को लेकर भी दिखता है।यह हमारी सांस्कृतिक एकता के साथ साथ भारतीय संस्कृति की अक्षुण्यता का प्रतीक भी है।