तर्पण कहाँ है यह , यह तो मन की फाँस की चिमटी है....................... तर्पण कहाँ है यह , यह तो मन की फाँस की चिमटी है.......................
आमीन को अब तक पता नहीं था कि आज उसके ऊपर कौन सा पहाड़ टूटने वाला है। आमीन को अब तक पता नहीं था कि आज उसके ऊपर कौन सा पहाड़ टूटने वाला है।