दादाजी की आजादी
दादाजी की आजादी
मैं बहुत छोटी थी तब की बात है , मेरे दादाजी एवं गांव के सभी लोग एक साथ बैठकर पुरानी बातें किया करते थे ।बीच-बीच में सभी लोग आजादी का नाम भी ले रहे थे ।मैं उस आजादी शब्द को लेकर बहुत ही चिंतित थी , कि यह आजादी शब्द क्या है ? एवं उसके बारे में जानने के लिए बहुत उत्सुक थी ।कुछ देर बाद जब गांव के सभी लोग अपने अपने घर चले गए , तब मैंने दादा जी से पूछा !
"दादा जी यह आजादी क्या होती है?"
दादा जी मेरे भोलेपन एवं मासूमियत पर पहले तो मुस्कुराए , फिर बोले ! "जब तुम बड़ी हो जाओगी तो जान जाओगी" ,
मैंने कहा "नहीं दादा जी मुझे अभी जानना है !"
दादा जी बोले "ठीक है , बैठो मैं बताता हूं !"
दादाजी ने बताना शुरू किया , कि कैसे देश अंग्रेजों का गुलाम था !दादा जी बोले "आज जो हम लोग अपने मन के सारे काम करते हैं , पहले वह काम हम नहीं कर पाते थे ! क्योंकि ; पहले यहां पर अंग्रेजों का शासन था , और हम लोग उनके गुलाम हुआ करते थे ! यह गुलामी बहुत दिनों तक चली , हमारे देश के सभी बुजुर्गों , महिलाओं एवं बच्चों की स्थिति दयनीय थी !
कोई भी व्यक्ति अपने मन का काम नहीं कर सकता था , और ना ही कोई अपने मन का भोजन कर सकता था !एसी स्थिति देखकर गांधी जी ने देश को आजाद कराने की ठानी , और सभी को लेकर स्वतंत्रता आंदोलन के लिए निकल पड़े !बहुत लड़ाई के बाद 14 अगस्त की रात सन 1947 में अंग्रेज यह देश छोड़कर भाग गए ।तभी से 15 अगस्त के दिन यहां पर स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है !मैं यह सब जानकर बहुत खुश हुई कि , हमारे देश के लोग डरने वाले नहीं , बल्कि लड़ने वाले हैं !"
