Mukesh Goel

Others

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चांदनी चौक से चाइना ! भाग 1

चांदनी चौक से चाइना ! भाग 1

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फिल्म आई थी अक्षय कुमार की जिसमें वो चांदनी चौक से चाइना आ गए थे। बहुत लोगों ने देखी होगी। मेरा भी ये तीसरी बार है चाइना आने का। पहली बार दिल्ली से चाइना – दिसम्बर २००४ में। तब २००४ से २००८ तक रहा। कंपनी ने अचानक से वापिस भारत बुला लिया। फिर नवम्बर २००९ में शनझन चाइना में दूसरी बार। मार्च २०१२ तक रहा। उसके बाद ७ साल तक इधर उधर भटकने के बाद चांदनी चौक से चाइना जून ०२ , २०१९।


सात साल में शनझन बहुत बदल गया है। चीन में कानून बहुत बदल गए है। पहले काम करने का वीसा आसानी से मिल जाता था। अब इन्होंने अलग अलग श्रेणी बना दी है ए , बी और सी। थोड़ा पेचीदा कर दिया है।


पहले मैं जिस कंपनी में काम करता था, उसी कंपनी ने मुझे सात साल बाद याद किया। बॉस थोड़ा खडूस है पर ठीक है। भारतीय बॉस सब ऐसे ही होते है। जेब से पैसा निकले तो उनकी माँ मर जाती है। अगर उनका कामगार कोई विदेशी है तो उसकी पूरी सेवा करेंगे, परन्तु भारतीय कामगार की जान लेकर रखेंगे। दूसरे की सारी भड़ास अपने देश वाले पर निकालते है। इसका भी एक कारण है। विदेशी भाषा विदेशी होती है, अपनी भाषा में लताड़ने का मजा ही अलग है। भाव पूर्ण रूप से आ जाते है और भाषा में ये मजा कहाँ ? 


मेरी कंपनी दुबई की है और बॉस भारतीय। कंपनी का मुख्य व्यवसाय तकनीकी प्रणाली का था, जिसे अब बदल कर व्यायाम से सम्बन्धित सामान के लिए पंजीकृत करवाना था।


मेरी फ्लाइट दिल्ली से हांगकांग की थी। रात ११ बजे जो की समय पर थी। सुबह ६ बजकर ४० मिनट्स पर हांगकांग पहुँच गई। आज कल फ्लाइट भी पूरी तरह व्यावसायिक हो गयी है। पहले विदेश जाने वाली फ्लाइट में खाना भी मिलता था और लोगों को पीने के लिए शराब भी। लेकिन अब सब बदल गया है। टिकट तो महंगी होती ही है, खाने के पैसे आप से अलग से वसूलते है। खैर मैं तो लोकल दिल्ली से अपने घर से चला था तो खाना खाकर चला था, लेकिन बहुत से पीछे से आने वाले लोग भी थे, जिन्होंने मजबूरी में लेकर खाना पड़ा। अब थोड़े से खाने के वो कितने पैसे वसूलते है ये तो देख कर ही पता चलता है। सब पैसे लुटने पर लगे रहते है। पर आजकल लोगों के पास पैसा भी बहुत है। दोनों हाथों से लुटाते है।


हांगकांग एयरपोर्ट पर उतरा तो दिन निकल आया था, मुझे बताया गया था की श खोऊ के लिए फेरी अंदर से ही मिलती है, वहाँ पर जाकर आप टिकट ले कर अपने सामान की रसीद उन्हें दे दो तो वो आपका सामान लेकर श खोऊ आपकी फेरी में भेज देंगे, जो आप वहां पहुँचने के बाद ले सकते हो। अंदर आकर बांये मुड़ते ही फेरी काउंटर है। वहाँ से टिकट लेकर मैं फेरी लेने के लिए आगे आये। काउंटर के साथ ही दाई तरफ़ फेरी के लिए अंदर जाने का रास्ता है जो की फेरी चलने के ४० मिनट पहले खुलता है।


क्रमश : 



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