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Charumati Ramdas

Children Stories

4  

Charumati Ramdas

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बटरफ्लाई स्टाइल में तीसरा नंबर

बटरफ्लाई स्टाइल में तीसरा नंबर

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जब मैं स्विमिंग पूल से वापस घर लौट रहा था, तो मेरा मूड़ बहुत अच्छा था। मुझे सारी ट्रॉलीबसें अच्छी लग रही थीं, क्योंकि वो इतनी पारदर्शी हैं, जिससे साफ़-साफ़ दिखाई देता है कि उनमें कौन जा रहा है; और आइस्क्रीम बेचने वाली लड़कियाँ अच्छी लग रही थीं, क्योंकि वे हमेशा मुस्कुराती रहती हैं; और ये भी अच्छा लग रहा था कि रास्ते पे गर्मी नहीं थी और हवा का झोंका मेरे गीले सिर को ठंडक पहुँचा रहा है। मगर सबसे ज़्यादा अच्छी बात मुझे ये लग रही थी कि मेरा बटरफ्लाइ स्टाइल में तीसरा नंबर आया था और अब मैं पापा को इसके बारे में बताने वाला हूँ – वो कब से चाह रहे थे कि मैं तैरना सीख लूँ। वो कहते हैं कि सब लोगों को तैरना आना चाहिए, ख़ास तौर से लड़कों को तो आना ही चाहिए, क्योंकि वे मर्द होते हैं। और वो मर्द ही क्या, जो जहाज़ की दुर्घटना में समन्दर में डूब जाए या फिर, अपने तालाब ‘चीस्तिए प्रूदी’ में, नाव उलटने पर डूब जाए?

और आज मेरा तीसरा नम्बर आया है और अब मैं पापा को इस बारे में बताने वाला हूँ। मैं बड़ी जल्दी-जल्दी घर जा रहा था, और, जब मैं कमरे में घुसा, तो मम्मा ने फ़ौरन पूछ लिया:

 “ ये तू इतना चमक क्यों रहा है ?”

मैंने कहा:

 “आज हमारी कॉम्पिटीशन थी।”

पापा ने कहा:

 “कैसी कॉम्पिटीशन ?”

”बटरफ्लाइ स्टाइल में पच्चीस मीटर तैर कर।।।”

पापा ने पूछा:

 “तो, कैसी रही ?”

 “तीसरा नम्बर!” मैंने कहा।

पापा का चेहरा खिल गया।

 “अच्छा?” उन्होंने कहा। “ये हुई न बात! शाबाश!” उन्होंने अख़बार एक ओर को रख दिया। “वेल डन!”

मुझे मालूम ही था कि वो ख़ुश होंगे। मेरा मूड़ और भी अच्छा हो गया।

 “और पहला नम्बर किसका आया ?” पापा ने पूछा।

मैंने जवाब दिया:

 “पहला नम्बर, पापा, वोव्का का आया। उसे तो कब से तैरना आता है। उसके लिए तो ये ज़रा भी मुश्किल नहीं था।”

 “हाँ, हाँ, वोव्का !” पापा ने कहा। “और, दूसरा नम्बर किसका आया ?”

 “और दूसरा,” मैंने कहा, “एक लाल बालों वाले लड़के का आया, मालूम नहीं उसका नाम क्या है। वो छोटे-से मेंढक के जैसा दिखता है, ख़ास तौर से पानी के अन्दर।।।”

 “और तू, मतलब, तीसरे नम्बर पे रहा?” पापा मुस्कुराए, मुझे बड़ी ख़ुशी हो रही थी। “कोई बात नहीं,” उन्होंने कहा, “कुछ भी कहो, तीसरा नम्बर भी तो इनाम का हक़दार होता है, कांस्य पदक! और, चौथे नम्बर पे कौन आया? याद नहीं है? किसका आया चौथा नम्बर ?”

मैंने कहा:

 “चौथा नम्बर किसी का भी नहीं आया, पापा !”

उन्हें बड़ा अचरज हुआ।

 “ऐसा कैसे हो सकता है ?”

मैंने कहा:

 “हम सबका तीसरा नम्बर आया: मेरा, और मीश्का का, और तोल्का का, और कीम्का का, सबका, सबका।।। वोव्का – पहले नम्बर पे, लाल बालों वाला मेंढक – दूसरे पे, और हम – बाकी के अठारह लोग, हम सबका तीसरा नम्बर आया। इन्स्ट्रक्टर ने ऐसा कहा!”

पापा ने कहा, “ आह, ये बात है, सब समझ में आ गया !”

और वो फिर से अख़बार में दुबक गए।

और न जाने क्यों मेरा मूड़ एकदम बिगड़ गया।


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