भागवत गीता कहानी प्रतियोगिता "चोर की वापसी "
भागवत गीता कहानी प्रतियोगिता "चोर की वापसी "
एक बार भागवत गीता पाठ चल रहा था पंडित जी श्लोक के साथ अर्थ भी बता रहे थे। बहुत भीड़ थी वहां। विराजू भी वहीं थे थोड़ी देर के लिए घर गए तो अवाक रह गए। ताला टूटा पड़ा था पूरा घर अस्त व्यस्त पड़ा था ।
रोते चिल्लाते वापस पंडित के पास गए । बोलने लगे तुम सब झूठी बातें बताते हो। मैं तो धर्म का ही काम कर रहा था फिर मेरे घर में चोरी कैसे हो गई।
पंडित ने समझाया तुम्हारे पूर्व जन्म के कर्मों का फल है तुम्हारे घर में और ज्यादा अहित होना था लेकिन क्योंकि तुम धार्मिक कथा सुन कर इस जन्म में अच्छा काम कर रहे थे इसलिए थोड़ी सी चोरी हुई और चोर आहट पाकर भाग गए। चोर भी चोरी कर वहीं कथा सुनने वालों के भीड़ में घुस गया था । चोर ने सोचा पंडित को कैसे पता चला कि आहट पाकर वो भाग गया था तो उसे लगा पंडित जी उसे पहचान गए हैं शायद। तो चुपके से जाकर उसने चोरी का सामान वापस रख कर आ गया।
विराजु ने वापस आने पर अपना सामान देखा उसे पंडित पर और भगवान पर पूरा विश्वास हो गया ।
उधर पंडित की बातों से चोर का हृदय परिवर्तन हो गया उसे लगा भगवान सच में सबको देखते रहते हैं गलत काम करने से कभी मन खुश नहीं हो सकता है और अच्छा काम करने वाले का बुरा नहीं हो सकता है जैसे विराजू का बुरा चाहते हुए भी वो नहीं कर पाया।
