बचपन की यादें
बचपन की यादें
हम हमेशा लगता है कि हम बचपन को भूल गए है।लेकिन फिर भी बहुत सारी यादे आज भी हमारे मन में है, जिसमें से कुछ यादें आज भी वेसी ही है।
हमारे घर में सिर्फ बच्चापार्टी जब आज भी एक साथ होती है तो ऐसा लगता है कि बस यही रुक जाओ, और समय को यहीं रुक दो, मत जाओ इसके आगे। हमारे घर में हम सब एक साथ एक ही कमरे में साथ टीवी देखते ।जब सर्दियां आती तब सब अपने अपने बिस्तर उठकर उसी कमरे में आ जाते, टीवी देखते देखते सो जाते, जब लाइट चली जाती तब खेल खेलते।हमारे यहां ज्यादा मेहमान नहीं आते, लेकिन हर दिन त्यौहार लगता। वो दिन आज सपने की तरह लगते है, शायद सपने और अतीत में यही फर्क होता है कि सपने बंद आखो से देखे जाते है और अतीत को महसूस किया जाता है। जब सोने के लिए भेजा जाता था और नींद नहीं आती थी, तो चुपके से बिस्तर से उठकर सब अपने अपने कमरे से निकलकर उसी कमरे में मिलते और टीवी धीमे आवाज में खोलते, लाइट बंद करके चुप चप टीवी देखते, और हर बार पकड़े जाते।
पकड़े जाने के बाद सबकी एक एक करके डाँट पड़ती। जब भी कुछ गलत करते समझ जाते कि अब तो गए, तभी सब के सब छिप जाते और इतने मासूम बन जाते कि कुछ पता ही ना हो।वो यांदे कभी भी पुरानी भी नहीं हो सकती, इन्हें सिर्फ महसूस कर सकते क्युकी इन्हे शब्दों में बयां करना आसन नहीं है।
