बच्चे फूलों का गुलदस्ता
बच्चे फूलों का गुलदस्ता


जब किसी परिवार में नन्हा मेहमान आता है तो अपने साथ ढेरों ख़ुशियाँ लाता है, उसे सबका प्यार दुलार मिलता है। इतना प्यार की हर रोज उसकी नजर उतारनी पड़ती है। परन्तु जैसे ही परिवार में दूसरा बच्चा आता है जैसे उसके भाई बहन या उसके चचेरे भाई बहन, परिवार के लोग बच्चों में तुलना करना शुरू कर देते है। जैसे ये उससे गोरा है, इसके नैन नक्श उससे सुन्दर है, ये सिलसिला यही समाप्त नहीं होता, ये तो शुरूआत होती है। बच्चे जैसे जैसे बड़े होते है, उनकी योग्यताओ में तुलना होने लगती है जैसे ये कहना ये उससे ज्यादा होशियार है। ये परीक्षा में उससे ज्यादा अंक लाता है। एक बच्चे की योग्यता की तुलना उसके अपने भाई बहन से होने लगती है। ऐसा करके लोगो को क्या मिलता है ये तो नहीं पता, लेकिन बच्चों का मन बहुत आहत होता है। क्योंकि उनकी सफलता का आकलन उनके अपनों की सफलता से होती है। हर समय शायद वे ऐसा सोचते है कि मुझे इससे बेहतर करना है ताकी घरवाले मेरी तारीफ करे, बच्चों में हम से मैं की भावना उत्पन्न करने के लिए घरवाले ही जिम्मेदार होते है, और बच्चों को एक दूसरे का सहयोगी बनाने के बजाए एक दूसरे का प्रतियोगी बना देते है।
सच्चाई ये है कि बच्चे तो फूल की तरह है, बाग का हर फूल मनमोहक होता है, खूबसूरत होता है, प्रकृति के हर फूल को अलग अलग रंग दिया है और खुशबू दी है, कोई इन फूलों की उपयोगिता की तुलना नहीं कर सकता ना ही इनके सौन्दर्य की, फिर बच्चों का मन भी तो फूलों के समान कोमल है, लोग बार बार तुलना करके इन्हे खिलने से पहले ही मुरझा देते है।
जिस प्रकार कोई नहीं बता सकता कि कमल सुन्दर है या गुलाब, सूर्यमुखी सुन्दर है या रात की रानी उसी प्रकार कोई ये भी न ही बता सकता कौन सा बच्चा किस बच्चे से कम योग्य है या ज्यादा , प्रकृति ने हर बच्चे को अलग अलग उचाईयाँ छूने के लिए बनाया है, कृपया बच्चों का उचित मार्गदर्शन कीजिए और उन्हे उड़ने दीजिए।