हरि शंकर गोयल

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हरि शंकर गोयल

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बावरा मन

बावरा मन

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ये मन भी बड़ा बावरा है । न जाने क्या क्या सपने देखता है । अब सपने तो कोई भी देख सकता है ना । उस पर तो अभी तक बैन नहीं लगा और ना ही किसी न्यायालय ने स्टे जारी किया है । इसलिए खूब सपने देखता है मन । मन इसी का फायदा उठा रहा है और बड़े अजीब अजीब से सपने देखता है । 

एक दिन मन ने क्या सपना देखा कि लोग धर्म के आधार पर वोट देने वालों को बहिष्कृत कर रहे हैं । जाति के आधार पर वोट देने वालों का हुक्का पानी बंद कर रहे हैं । इस तरह से "इफ्तार" की दुकान बंद हो गई हैं और जाति पंचायत कहीं विलुप्त हो गई हैं । जाति धर्म के ठेकेदार दर दर घूम रहे हैं और लोग उन पर हंस रहे हैं । सत्ता के गलियारों में इनकी प्रविष्टि बैन कर दी गई है और आम जनता की सुनवाई शुरू हो गई है । 


फिर दूसरे दिन मन ने क्या सपना देखा कि नेता देश के बारे में भी सोचने लगे हैं । खानदान के बजाय योग्य व्यक्ति पार्टी का मुखिया बनने लगा है । ऐसा व्यक्ति स्विस बैंक में खाता खुलवाने के बजाय जन धन योजना में खाते खुलवा रहा है । "भारत तेरे टुकड़े होंगे" जैसे नारे लगाने वालों को राजनीतिक दल जेलों में भिजवा रहे हैं । और तो और ऐसे देशद्रोहियों के मुकदमों की सुनवाई न्यायालय भी करने लगे हैं ।


आतंकवादियों के बजाय आम जनता के लिए भी सर्वोच्च न्यायालय रात में खुलने लगा है । अब वहां पर अंग्रेजी में फैसले नहीं लिखे जाते बल्कि देश की भाषाओं में लिखे जाने लगे हैं । सरकार द्वारा पारित कानूनों को सर्वोच्च न्यायालय स्टे नहीं कर रहा है । 


फिर एक दिन क्या सपने देखता है कि अपराधी खुद ही अपने अपराध कबूल कर रहे हैं । पुलिस एफ आई आर दर्ज करने लगी है और थानेदार वाकई अपराधियों को पकड़ रहे हैं । पुलिस के संरक्षण में पलने वाले सारे माफिया जैसे शराब, ड्रग, खान, जमीन, सट्टा, बजरी आदि स्वतः जेल चले गये हैं । अपहरण उद्योग खेलकूद उद्योग में परिवर्तित हो गया है । कॉलगर्ल अब कॉल सेन्टर चलाने लगी हैं । शराब की दुकानें पूजा की दुकानों में तब्दील हो गई हैं और मधुशाला मंदिर बन गये हैं । लोग रात में दारू नहीं दूध पी रहे हैं । जो आदमी दारू पीकर अपनी बीवी को मारता था अब वह उसकी पूजा कर रहा है । स्त्रियां रात्रि में भी बेखौफ होकर पूरे गहने पहनकर बाहर जा रही हैं । बच्चियों से दरिंदगी करने वाले राक्षस अब उनकी चरण वंदना कर रहे हैं । 


बड़े बड़े अफसर दफ्तर जाकर काम कर रहे हैं । पत्रावलियां बिना किसी वजन के या बिना किसी सिफारिश के दौड़ने लगी हैं । सरकारी कर्मचारी अब ऑफिस में सोशल मीडिया पर चैटिंग नहीं करते बल्कि आम आदमी की सेवा में लगे रहते हैं । गेट के बाहर चपरासी ऊंघता नहीं है बल्कि अलर्ट रहता है । बाबूजी अब अक्सर चाय और पान के ठेले के बजाय सीट पर नजर आने लगे हैं । भ्रष्टाचार का भूत शिष्टाचार के मंत्र से भाग गया है। 


और भी सपने देखता है मन । सरकारी स्कूलों में अध्यापक पढ़ाने लगे हैं । इस कारण अब निजी स्कूलों में बच्चे कम जाने लगे हैं । निजी स्कूलों की लूटमार बंद हो गई है । परीक्षाओं के पेपर बाजार में बिकते नहीं हैं । अस्पतालों में आम आदमी का भी इलाज होने लगा है । डॉक्टर अब मरीजों के अंग निकाल कर बेचते नहीं हैं । बिना बात की जांचे नहीं करवाई जाती हैं और दवाइयों से मिलने वाला कमीशन भी अब बंद हो गया है । मरे हुये लोगों को अब वेंटीलेटर पर नहीं रखा जाता । चिकित्सा क्षेत्र में लोगों का ईमान जिंदा हो गया है । 


लोग अब जानवरों को सच में प्यार करने लगे हैं । मुर्गे मुर्गी बेखौफ होकर भांगड़ा कर रहे हैं क्योंकि चिकन शॉप बंद हो गई हैं । बकरे अल्लाह का नाम रट रहे हैं क्योंकि अब उनकी कुर्बानी नहीं दी जाती है । गाय भैंस मस्ती में कव्वाली गा रही हैं क्योंकि अब ना तो कोई बीफ खाता है और ना ही मटन । मछलियां भी अब पानी में निडर होकर सर्फिंग कर रही हैं । अब उनकी तरफ कोई आंख उठाकर देखने की भी हिम्मत नहीं करता है । 


सब वृद्धाश्रम बंद हो गये हैं । अनाथालय और विधवा घर भी बंद हो गये हैं । बच्चे कचरा नहीं बीनते बल्कि स्कूल में पढते हैं । दहेज नाम के सांप को मारकर जला दिया है । स्त्रियों पर अत्याचार नहीं होते बल्कि वे सम्मान की नजरों से देखी जाती हैं । पति पत्नी लड़ते झगड़ते नहीं बल्कि कपल डांस करते देखे जाते हैं । अब पड़ोसन की कद्र कम हो गई है क्योंकि लोग अपनी अपनी बीवियों से भी बात करने लगे हैं । घर में सभी सदस्य मोबाइल पर लगे रहने के बजाय आपस में बात चीत भी करने लगे हैं । 


टेलीविजन पर अब अच्छे धारावाहिक बनने लगे हैं । कॉमेडी के नाम पर अश्लील फूहड़ता बंद हो गई है । बॉलीवुड में दाऊद गैंग का खात्मा हो गया है और लव जिहाद को प्रमोट करने वाली फिल्में बनना बंद हो गया है । जिनको भारत में डर लगता था वे अब पाकिस्तान जा चुके हैं । मनोरंजन के नाम पर सेक्स नहीं परोसा जाता और द्विअर्थी संवादों वाली फिल्में गायब हो गई हैं । कानफोड़ू संगीत की जगह भारतीय संगीत बजने लगा है । 


और भी बहुत सारे सपने देखता है ये बावरा मन । कहाँ तक लिखूं ? मैं तो लिखते लिखते थकूंगा नहीं मगर आप लोग पढ़ते पढ़ते थक जाओगे । इसलिए अब लेखनी को विराम देते हैं । 




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