Vibhav Saxena

Others

4.5  

Vibhav Saxena

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बारिश की यादें....

बारिश की यादें....

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आज एक बार फिर बारिश हो रही है। अरे ये क्या....! वो बच्चे कैसे बारिश में भीगकर मजा ले रहे हैं। ये गरीबों के बच्चे हैं जिनके पास मन बहलाने का और कोई साधन भी नहीं है। महंगे खिलौने और मोबाइल इनकी पहुँच से कोसों दूर हैं। ये कुदरत के करीब हैं और कुदरत इनके। इनकी बारिश में मस्ती देखकर मन हुआ कि मैं भी बचपन में लौट जाऊं।


अचानक पुरानी यादें ताजा हो गयीं। हम सब दोस्त केवल बारिश का इंतजार करते थे| जैसे ही बारिश शुरू होती, सब अपने अपने घरों से निकल जाते। बारिश में कभी कोई खेल खेलना तो भीगकर खुश होना, ऐसा लगता जैसे कोई जन्नत मिल गई हो। यूं तो बारिश में मस्ती करने के सबके अलग अंदाज थे लेकिन एक बात जो सबको अच्छी लगती वो थी बारिश में कागज की नाव को पानी में छोड़ना।


सब अपनी अपनी नाव बनाकर बारिश के पानी में छोड़ते और उसे तैरते हुए देखकर खुश होते। यह एक खेल भी था कि जिसकी नाव आगे जाएगी वही जीतेगा लेकिन किसी के भी जीतने पर अफसोस नहीं होता। जब बारिश तेज हो जाती या पानी भरने से नाव डूब जाती तो नयी नाव बनाकर छोड़ते। कभी कभी बारिश पर गुस्सा भी करते कि उसने हमारी नाव क्यों डुबो दी? लेकिन अगले ही पल गुस्सा ठंडा हो जाता और बारिश रुकने पर फिर से उसका इंतजार शुरू हो जाता।


वाकई कितने अच्छे दिन थे। ना किसी की चिंता और ना हो कोई फ़िक्र। यूं तो हर मौसम पसंद था लेकिन बारिश का अपना अलग ही मजा था। जब भी बारिश होती मन हिलोरे लेने लगता| बारिश एक जरिया थी मौज मस्ती का और सबके साथ आने का। कभी हल्की फुल्की नाराजगी हो भी जाती तो बारिश के आते ही सब दूर हो जाती, सब गिले शिकवे बह जाते और केवल प्यार और अपनापन ही बरसता जिसमें हम सराबोर हो जाते।


आज लगता है कि हम क्यों इतने बड़े हो गये? अब ना तो वो बारिश रही और ना ही वो नादानियाँ| अब ना तो पहले की तरह हम दिल से जुड़े हुए हैं और ना ही वो अपनापन है। सबको अपनी अपनी फिक्र है और आगे निकलने की होड़। एक दूसरे से मुकाबला करना है और खुद को बेहतर साबित करना है। क्यों सब कुछ इतना बदल गया है? कहने को तो हम बड़े हो गये हैं मगर हकीकत में बहुत छोटे हो गये हैं।


आज इन बच्चों को भीगकर खुश होते देखा तो बचपन की यादें ताजा हो गयीं। काश वो बचपन की बारिश और कागज की नाव के दिन वापस लौट आते। हम सब दोस्त फिर एक हो जाते। सब कुछ पहले जैसा हो जाता। ना कोई शिकवे, ना ही शिकायत, ना कोई घमंड, ना ही किसी से मुकाबला। होता तो बस प्यार और अपनापन। काश वो बारिश फिर से लौट आए.... काश....!!



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