अमर शहीद
अमर शहीद


अजीबोगरीब रंग के कपड़े और उदास मम्मी से परेशान चार वर्षीय राहुल ने जब कारण जानने का प्रयास मम्मी से किया तो वह दंग रह गया।
"अच्छा तो पापा भगवान के पास नहीं गये हैं, मर गये हैं!...ज़रूर कुछ गड़बड़ है। मम्मी को कुछ अता-पता नहीं होता वह दादाजी से पूछेगा।"
छलछलाती आंखों से दादाजी ने उसे कहा__
" तुम्हारे पापा मर नहीं सकते बेटा, वह तो अमर -शहीद हैं। उन्होनें देश के लिए बलिदान किया है। "
चार वर्षीय राहुल की आंखें चमक उठी, मुझे पता था, मम्मी कुछ नहीं जानती।
" मम्मी, पापा मरे नहीं हैं।" चिल्लाता हुआ राहुल मम्मी के कमरे की तरफ भागा। दादा जी के समझ में कुछ नहीं आया और वे भी राहुल के पीछे-पीछे अंदर की तरफ गये। राहुल अपने खिलौनों की पिटारी से आठ-दस रंग-बिरंगी चूड़ियाँ निकाल कर मां को
दे रहा था, मां उसे सीने से चिपका कर रोने लगी। तभी, राहुल एक बड़ी-सी लाल बिंदी मां के माथे पर लगाते कहने लगा__
"मम्मी, दादा जी को सब पता है, उन्होंने बताया है कि मेरे पापा मरे नहीं हैं। उन्होंने तो देश के लिए केवल अपना बलिदान किया है, बस! ये रंग-बिरंगी चूड़ियां,ये बिंदी, तुम सब-कुछ पहन सकती हो।"
रोती बहू के शीश पर हाथ रखते हुए, दादाजी कांपती आवाज़ में कह रहे थे..
" हां बहू, राहुल जैसा चाहे, वैसे ही रहा करो...शहीद मरते नहीं हैं।"
मम्मी के माथे पर बिंदी लगाकर, ताली बजाते राहुल की खुशी को देख, महीनों बाद बेजार मम्मी और टूटे- दादाजी के चेहरे पर फीकी- सी मुस्कान आ गई।