STORYMIRROR

navneet singh

Others

2  

navneet singh

Others

अखबार का प्रथम पृष्ठ

अखबार का प्रथम पृष्ठ

2 mins
137


"यह क्लास वर्क और होम वर्क क्या कम था जो तृप्ति मैम ने यह अखबार वाला टास्क गले बांध रखा है, ऊपर से किसी को भी खड़ा किया जा सकता है खबरें सुनने के लिए"


"बेटा अब जो भी है करना तो पड़ेगा वरना तृप्ति मैम का गुस्सा और पनिशमेंट दोनों तुमको मालूम है"

विद्यालय में बेंच पर अगल बगल बैठी दो छात्रायें आपस में बात कर रही थी। तृप्ति एक सरकारी बालिका इंटर कॉलेज में कक्षा छह की सामाजिक विज्ञान की अध्यापिका थी, विद्यालय में अपने अध्यापन के लिए तृप्ति प्रसिद्ध थी। बच्चों में समसामयिक मुद्दों की सोच विकसित करने के लिए, शब्दकोश विकसित हो और आत्मविश्वास बढ़े इसके लिए तृप्ति ने बच्चों को एक टास्क दे रखा था, प्रत्येक छात्रा रोज़ अखबार के प्रथम पृष्ठ की कोई भी तीन खबरें चयनित करके क्लास शुरू होने से पहले दो मिनट में पूरी कक्षा को संक्षेप में सुनाएगी। तृप्ति के कदमों की आहट सुनके सब छात्रायें चुप हो जाती है, तृप्ति के कक्षा में प्रवेश करते ही अभिवादन करके बैठ जाती हैं।

"हम्म.. तो आज कौन सुनाएगा खबरें " तृप्ति ने पूरी कक्षा की तरफ नज़र घुमायी

"एक्सक्यूज़ मी मैम" एक छात्रा ने हाथ खड़ा किया

"हाँ संगीता बोलो" तृप्ति ने खड़े होने का इशारा किया

"मैम कल से हम लोग क्या अखबार के प्रथम पृष्ठ की जगह खेल समाचार वाले खबरें चयनित कर सकते हैं?

"क्यों क्या हुआ? तृप्ति ने कड़क आवाज़ में कहा

"वो मैम प्रथम पृष्ठ की खबरें अच्छी नहीं लगती, उनको पढ़ने का मन नहीं करता, वो पढ़ने में मन को ख़ुशी नहीं मिलती "

"हाँ ठीक है" तृप्ति ने नरम आवाज़ में कहा

अभी छोटे बच्चे ही तो हैं, इतनी नकारात्मक खबरों का इनके बाल सुलभ मन पर पता नहीं क्या प्रभाव पड़ेगा। घर आते वक्त तृप्ति रास्ते में सोच रही थी।

शाम को पति के साथ चाय पीते समय भी तृप्ति खामोश थी, पति के पूछने पर पूरा किस्सा सुनाया।

"हम कब ऐसे समाज का निर्माण कर पाएंगे, जब अखबार के प्रथम पृष्ठ की सारी खबरें सकरात्मक, मन को सुकून देने वाली हों" तृप्ति ने बस यूं ही पति से पूछा.....जवाब तो तृप्ति को भी मालूम था।



Rate this content
Log in