अज्ञातवीर
अज्ञातवीर
प्राचीन काल से ही हम भारतीय यह मानते आये हैं कि इस संसार में कोई न कोई अज्ञात शक्ति जरूर है जो स्वप्रेरणा से बहुत कुछ काम करती है । स्वप्रेरणा से काम करने का ठेका केवल सुप्रीम कोर्ट ने ही नहीं ले रखा है , इन अज्ञातवीरों ने भी बहुत सा अज्ञात काम किया है जिसकी चर्चा मीडिया में नहीं होती है । वह काम किसी को अच्छा लग सकता है और किसी को बुरा भी । भारत प्रेमियों के लिए वह काम अच्छा है और देश के दुश्मनों के लिए बहुत बुरा । लेकिन ये अज्ञातवीर हैं कि लगातार अपना काम कर रहे हैं और भारत के दुश्मनों को ठिकाने लगा रहे हैं । प्रेतात्मा या देवात्मा जैसे नाम भी दिये जाते रहे हैं उस अज्ञात शक्ति को । लोग अज्ञात शक्ति का लोहा मानते आये हैं और आज भी मान रहे हैं ।
महाभारत काल में भी अज्ञात शक्ति का जलवा हमें देखने को मिला था । जब पाण्डव अज्ञातवास में विराट नगर में छुपे हुए थे और महारानी द्रोपदी सैरन्ध्री बनकर विराट नगर की महारानी सुदेष्णा की सेवा सुश्रुषा कर रही थी तब महारानी सुदेष्णा का भाई जो विराट नगर का सेनापति था और राज्य का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति था की निगाह द्रोपदी पर पड़ गई । यद्यपि अनिंद्य सुन्दरी द्रोपदी ने अपने सौन्दर्य को छुपाने के लिए अपना चेहरा मेकअप से कुरूप बना लिया था । लेकिन सूर्य को बादल कब तक छुपा सकते हैं ? हीरे की आभा को रज कण कब तक बिखरने से रोक सकते हैं और सौन्दर्य को कोई भी कालिमा कब तक छिपा सकती है ? इसी तरह द्रोपदी का सौन्दर्य भी कीचक को नजर आ ही गया । कीचक की कामुक निगाहों ने सती द्रोपदी के पवित्र बदन को छू लिया । कीचक सर्व सामर्थ्यवान था इसलिए वह द्रोपदी को पकड़ने के लिए लपका । द्रोपदी खतरा भांप कर खुद को बचाने के लिए वहां से भागी और महाराज विराट नगर के दरबार में पहुंच गई । कीचक उसका पीछा करता हुआ महाराज की सभा में पहुंच गया और महाराज के सामने ही द्रोपदी के साथ असभ्य व्यवहार करने लगा । द्रोपदी के पति और सम्राट युधिष्ठिर उस समय विराट नगर महाराज के सेवक "कंक" बनकर उस सभा में मौजूद थे और बहुत धैर्य पूर्वक अपने सामने अपनी पत्नी का अनादर देखते रहे मगर कोई कुछ नहीं कर सका । तब बेचारी द्रोपदी उस अपमान से दुखी होकर खून का घूंट पीकर रह गई और उसने घोषणा कर दी कि उसके रक्षक पांच अज्ञात यक्ष हैं । वे इस अपमान का बदला अवश्य लेंगे ।
और हुआ भी वही । एक दिन सुबह सुबह दुष्ट, कामी , लंपट कीचक की लाश नगर के बाहर पाई गई । लोगों ने उन अज्ञात यक्षों का हृदय से आभार प्रकट किया जिन्होंने कीचक जैसे दुष्ट का वध कर दिया । इससे यह सिद्ध होता है कि संसार में कोई तो अज्ञात शक्ति है जो दुष्टों का संहार करती है ।
श्रीमद्भगवद्गीता कहती है कि मनुष्य में सत्त्वगुणों की अधिकता होने पर कुछ लोगों को इस बात का गुमान हो जाता है कि वे बहुत ज्ञानी हैं , भले हैं, सदाचारी हैं । यह अभिमान सदाचारी न होने से भी अधिक घातक है । इसलिए यज्ञ , तप, दान आदि परोपकारी कार्य करने पर भी मान बड़ाई की कामना नहीं करनी चाहिए । वास्तव में निष्काम भाव से किया गया कर्म ही सही मायने में कर्म है । इसीलिए कुछ लोग दान में अपना नाम नहीं बताते हैं और उसे "गुप्त दान" कहकर दान देते हैं । इस प्रकार "अज्ञात" की महिमा अपरंपार है ।
आज यह "अज्ञात" का महिमामंडन कोई अकारण ही नहीं हो रहा है , इसके पीछे भी बहुत बड़ा कारण है । पिछले कुछ महीनों से खालिस्तान प्रेमी और भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले जेहादियों का ब्रिटेन , कनाडा , पाकिस्तान और दूसरे देशों में जिस तरह सफाया हो रहा है और भारत के दुश्मन जिस तरह 72 हूरों के पास लगातार पहुंच रहे हैं , उससे मन बड़ा प्रसन्न है । मजे की बात यह है कि इनको "टपकाने वालों" का आज तक पता नहीं चला है ।
कनाडा के प्रधान मंत्री टूड्रो ने खुन्नस में आकर इन हत्याओं में भारत का हाथ बता दिया था लेकिन जब भारत ने अपने तेवर सख्त किये तो टुड्रो की टुंडी टूट गई और वह अपनी औकात पर आ गया । हाफिज सईद, मसूद अजहर और अनेक नामचीन आतंकियों के रिश्तेदार एक एक करके रोज काल के गाल में जा रहे हैं तो पाकिस्तान में मातम पसरा हुआ है । न बता सकते हैं और न छुपाने की ताकत है । सबसे बड़ी मजबूरी ये है कि वे भारत पर कीचड़ भी नहीं उछाल सकते हैं । कनाड़ा का अंजाम सामने है । अब यहां कोई "कठपुतली" प्रधानमंत्री तो है नहीं जो पाकिस्तान के समक्ष हाथ बांधे खड़ा रहे । अब तो सर्जिकल और एयर स्ट्राइक करने का आदेश देने वाला प्रधानमंत्री है जो मिनटों में सबक सिखाने का आदेश दे देता है । किसी ने सही कहा है कि जबरा मारे और रोने भी ना दे !
अब प्रश्न यह आता है कि इन आतंकियों और इनके पैरोकारों को टपका कौन रहा है ? अभी तक तो इनका कोई सुराग भी हाथ नहीं लगा है । इसका मतलब है कि कुछ "अज्ञातवीर" यह कार्य कर रहे हैं । जिस तरह द्रोपदी के रक्षक अज्ञात यक्ष थे उसी तरह भारत के रक्षक भी ये अज्ञातवीर हैं । इन अज्ञातवीरों ने अब तक बीस से अधिक आतंकी और जेहादी निपटा दिये हैं । 72 हूरों के लिए इनमें गजब की मारामारी चल रही है आजकल । बेचारी 72 हूरें ! एक को जब तक ये 72 हूरें खुश करती हैं , तब तक 5 जेहादी आ टपकते हैं । बेचारी 72 हूरों को बहुत ओवरटाइम करना पड़ रहा है आजकल ।
भारत में बैठे गद्दारों में भी अब भय का माहौल बनने लगा है । अब तक तो चीनी और पाकिस्तानी चंदे से ये लोग अपना धंधा चला रहे थे और मौज उड़ा रहे थे । अब जिस तरह ये अज्ञातवीर भारत के दुश्मनों का सफाया कर रहे हैं उससे देश के गद्दारों में भी भय उत्पन्न होने लगा है । गद्दारों में डर पैदा होने से सभी राष्ट्रवादी लोग बहुत खुश हैं और वे इन अज्ञातवीरों से प्रार्थना कर रहे हैं कि अब इन गद्दारों का भी नंबर ले लो । इनको गद्दारी करते हुए बहुत समय हो गया है ।
भारत से बाहर टपकने के कारण सुप्रीम कोर्ट भी मन मसोस कर चुपचाप बैठा है । भारत के बाहर सुप्रीम कोर्ट की चलती नहीं है ना ! यदि चलती होती तो अब तक न जाने कब का स्वत: संज्ञान ले लेता ? यदि भारत के अंदर ये गद्दार मरेंगे तो सुप्रीम कोर्ट को भी केन्द्र सरकार को हड़काने का एक और अवसर मिल जाएगा । पश्चिम बंगाल की हिंसा पर खामोश रहने वाले और उत्तर प्रदेश में एक हत्या पर स्वत: संज्ञान लेने वाले सुप्रीम कोर्ट को भी भारत की जनता पहचान रही है और उसके मनमाने रवैये को देख रही है । वह यह भी देख रही है कि कैसे दीपावली के त्यौहार से इन मियां लॉर्डों को नफरत है और कैसे बकरा ईद पर करोड़ों बकरे कटने पर भी ये खामोश बैठे रहते हैं । देखते हैं कि ये अज्ञातवीर अब और किस किस को टपकाते हैं । आओ इन अज्ञातवीरों का अभिनंदन करें ।
बोलिए अज्ञातवीरों की जय ।
