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PRAVIN MAKWANA

Children Stories Inspirational

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PRAVIN MAKWANA

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अहिंसा के रास्ते पर संघर्ष

अहिंसा के रास्ते पर संघर्ष

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मोहनदास करमचंद गाँधी महात्मा गाँधी बने हमारे लिए उनके प्रेम के कारण से। जब उन्होंने ने देखा की विदेशियों के हाथों से किस तरह देशवासियों का उत्पीड़न और उन पर अत्याचार हो रहा है तो उन्होंने हमें उनके हाथों से मुक्त कराने का बीड़ा उठाया। उनकी राह बहुत कठिन थी परन्तु उन्होंने उसको कभी नहीं छोड़ा जब तक भारत और भारतवासियों को उनसे आज़ाद नहीं करा लिया। उनका रास्ता आसान नहीं था परन्तु फिर भी काँटों भरी राह पर चलते हुए उस महापुरुष ने हमारे लिए अपना आंदोलन जारी रक्खा क्योंकि उनका लक्ष्य हमारे लिए कुछ करने का था। 

उन्होंने हमें सिखाया की अहिंसा और सत्याग्रह जैसे सिद्धान्तों पर चलकर कैसे अपनी बात को कहा और मनवाया जा सकता है। सत्य और प्रेम की राह पर चलते हुए कैसे अपने आप को और दूसरों को जीता जा सकता है ये उन्होंने हमें करके दिखाया। उपवास हमें कितना बलशाली बन सकता है ये हम सब ने देखा। उनके द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना, वैष्णव जन भजन और रघुपति राघव राजा राम नाम के भजन ने हमारे अंदर एक दूसरे के धर्म के प्रति आस्था जगाई। उस महान आत्मा ने हमें जात पात से ऊपर उठकर जीना सिखाया। सादगी से कैसे जिया जाता है वो स्वयं उसका उदाहरण बने और हमें भी प्रोत्साहित किया। 

गाँधी जी ने हमें बताया कि सर्वोदये, मतलब ‘सबकी उन्नति’ में ही देश की उन्नति है, उन्होंने हमें सिखाया कि दूसरों की सेवा करके कैसे जीवन जिया जाता है, धर्म और जात पात का फ़र्क़ मिटाकर जीने की कला को हमें सिखाया। जब यह समझ नहीं आ रहा था की उस बलशाली अंग्रेज़ी हुकूमत से कैसे देश को आज़ाद कराया जाए तो उन्होंने सत्य, अहिंसा, प्रेम, सत्याग्रह का प्रयोग करके हमें आज़ादी दिलवायी। ‘देदी हमें आज़ादी बिना खड़ग बिना ढाल, साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल।’ 

आज उसी सन्त का साबरमती आश्रम ख़तरे में है और वो सन्त आज अपने आश्रम को बचाने के लिए, और अपनी बात कहने के लिए हाड़ मांस के रूप में हमारे बीच उपस्थित नहीं है। वो कैसे और किससे कहे अपनी बात। वो हमारी आज़ादी के लिये लड़े और उसके लिए उन्हें दंड दिया गया, उनके सिने में चार चार गोलियाँ मारी गयीं और उन्होंने हमारे लिये अपनी जान तक दे दी। 

आज जिस हिंदुस्तान में हम आज बहुत गर्व से रहते हैं और आज़ादी की साँस लेते हैं वो उसी महात्मा के देन है। क्या आज ये हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी नहीं बनती की हम उस महापुरुष, हमारे प्यारे बापू के लिए, उनके और हमारे साबरमती आश्रम के लिए जात पात, धर्म और राजनीतिक विचारों से ऊपर उठकर सब साथ मिलकर भारत और गुजरात सरकार से विनम्र अनुरोध करें की हमारे बापू के साबरमती आश्रम को जैसा है वैसा ही रहने दे। 

महात्मा गांधी जी का साबरमती आश्रम दुनिया के लिए सादगी और आस्था का प्रतीक है और भारत सरकार ने आधुनिकीकरण के नाम पर इसे पर्यटन स्थल बनाने का निर्णय लिया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को देशभर के लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसके वर्तमान स्वरूप को कायम रखना चाहिए और विकास के नाम पर जो भारत की ऐतिहासिक संपत्तियों को लगातार सुनियोजित तरीके से नष्ट किया जा रहा है यह अगला कदम साबरमती आश्रम की ओर बढ़ा रहे हैं गांधी जी के विचारों को नष्ट करना ही इनका एक मकसद है। हम सभी देशवासियों को मिलकर इसका पुरजोर विरोध करना चाहिए

आज मैं दुखी हूँ, मेरा मन दुखी है क्योंकि महात्मा के शरीर को मारने के बाद अब उनकी आत्मा को मारने का प्रयास किया जा रहा है। मैं आप सभी से विनम्र अनुरोध करता हूँ कि हम सब साथ मिलकर एक साथ उस महान आत्मा के लिए, उसके बताए अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए शांति के साथ संघर्ष करें। 


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