हरि शंकर गोयल

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हरि शंकर गोयल

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आवारा बादल (भाग 36) दामाद

आवारा बादल (भाग 36) दामाद

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"कहते हैं कि "जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ" । कुछ पाने के लिए गहरे पानी में उतरना पड़ता है । यह बात आई ए एस की परीक्षा पर पूरी तरह फिट बैठती है । इस परीक्षा के लिए गहरी जानकारी होना आवश्यक है । सतही ज्ञान के आधार पर कोई आई ए एस नहीं बन सकता है । और गहरे ज्ञान के लिए बहुत पढ़ना पड़ता है । रोज । कम से कम दस घंटा । मतलब सुबह और शाम , एक ही काम । पढने से ही मिलेगा आई ए एस का धाम" । मृदुला ने यह बात रवि को अच्छे से समझा दी थी । "सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं होता है । जो लोग चुटकी बजाकर काम बनाने की बातें करते हैं वे जिंदगी भर चुटकियां बजाने में ही गुजार देते हैं । मेहनत का कोई विकल्प नहीं है । हौसलों के बिना कुछ भी हासिल नहीं हो सकता है । जिंदगी में समर्पण रखोगे तो नित नई ऊंचाइयां छुओगे । एकाग्रता और अनवरत प्रयास के बिना लक्ष्य साधना संभव नहीं है । इन सबको जीवन में जिसने उतार लिया उसे सफलता से कोई भी व्यक्ति दूर नहीं रख पाया । सफलता का यही मूलमंत्र है" । मृदुला धारा प्रवाह कह गयी । 

मृदुला इतनी शानदार ओरेटर होगी यह खुद मृदुला को भी पता नहीं था ।वह रवि के लिये प्रेरणा का स्रोत बन गई थी । मृदुला रवि की गाइड, मेण्टर, गुरु, सखी सब कुछ बन गई थी । यहां तक कि कब मृदुला के दिल में रवि की तस्वीर बस गई यह मृदुला को भी पता ही नहीं चला । 


एक दिन रेणू जी अचानक रवि के कमरे में आ गयीं तो उन्होंने देखा कि मृदुला रवि को अपने हाथ से खाना खिला रही है । साथ साथ में मनुहार भी करती जा रही है । उसके चेहरे के भाव कह रहे थे उसके दिल की बात । रेणू जी अपनी बेटी का यह रूप देखकर सन्न रह गईं । उन्हें हलका सा खटका तो था मगर यह अंदेशा नहीं था कि बात इतनी बढ़ चुकी है । रेणू जी ने जब रवि के बारे में सोचा तो उसमें उन्हें कोई कमी नजर नहीं आई । हां, उसका अतीत बहुत ही.खराब था । यदि रवि अतीत की तरह बुरा निकला तो ? पर अभी तो ऐसा नहीं है रवि । आज की तारीख में तो मृदुला के लिए रवि से श्रेष्ठ कोई और लड़का ढूंढने से भी नहीं मिले उन्हें । तो क्या उन्हें आंखें बंद कर लेनी चाहिए ? इस संबंध में एक बार मृदुला से तो बात की ही जानी चाहिए । रेणू जी ने मन में तय कर लिया कि आज मृदुला से इस संबंध में बात करके ही रहेगी । 


जब मृदुला अपने कमरे में आ गयी तब रेणू जी भी उसके कमरे में आ गईं । मृदुला के पास में बैठकर वे उसके बालों में उंगली फिराने लगी तथा गौर से मृदुला के चेहरे को देखने लगीं । 

"क्या देख रही हो मॉम" ? 

"देख रही हूं कि अब हमारी नन्ही सी बेटी बड़ी हो गई है" । 

"ऐसा आपने क्या देख लिया जिसने मुझे एकदम से बड़ा बना दिया है" । 

"मैंने वो देखा जो और किसी ने नहीं देखा" । 


अब मृदुला ने गौर से मम्मी के चेहरे को देखा तो वहां पर शरारती मुस्कान तैरती मिली । मृदुला समझ नहीं पाई इसलिए झल्ला कर बोली "पहेलियां क्यों बुझा रही हो मम्मा ? साफ साफ बताओ ना , क्या देखा" ? 

"मैंने देखा कि तू अब बड़ी हो गयी है । अपनी जिंदगी के फैसले खुद करने लगी है" । 


मृदुला फिर चौंकी । "पर मैंने तो कोई फैसला लिया ही नहीं है अब तक । फिर आपने क्या देख लिया ऐसा" ? 

"तेरी मां हूं, तुझे अच्छी तरह से जानती हूं ।तू चाहे लाख छुपा ले मगर तेरा चेहरा सब कुछ कह देता है" । 

"अच्छा ! क्या कह रहा है मेरा चेहरा" ? अब मृदुला भी मस्ती के मूड में आ गई थी । 

"कह रहा है कि अब इस चेहरे पर किसी का नाम लिख दिया है तू ने" । 


मृदुला अचानक उठकर बैठ गई । चौंककर बोली "कैसा नाम ? किसका नाम ? कब लिख दिया" ? 

"तू तो ऐसे चौंक रही है जैसे कि तुझे कुछ पता ही नहीं हो "। 

"सच मम्मा । मुझे कुछ पता नहीं है । आप ही बता दीजिए अब" ? 

"ओ के । अच्छा एक बात बता , ये रवि के साथ तेरा चक्कर कब से चल रहा है" ? 

"व्हाट ? मेरा चक्कर और रवि के साथ" ? 

"इतना चौंकने की आवश्यकता नहीं है । मैंने तुझे अपने हाथों से रवि को खाना खिलाते हुए देखा है" । 


मृदुला ने गहरी सांस छोड़ी । "अच्छा, तो उस सीन को देखकर आप ऐसा कह रहीं हैं । पर वो तो आज उनके हाथ में चोट आ गई थी इसलिए मुझे खिलाना पड़ा था" । 

"मैं सब समझती हूँ । तेरी मां हूं, बेटी नहीं । तुझे पसंद है ना रवि" ? 


मृदुला कुछ नहीं बोली, खामोश ही रही । 

"तेरी खामोशी में तेरी हां छुपी हुई है । है ना" ? 

मृदुला ने गर्दन नीचे कर ली । आज ये राज भी खुल गया था । रेणू जी ने यह बात अग्रवाल साहब को भी बता दी । उन्हें भी रवि पसंद था इसलिए उन्होंने भी सहमति व्यक्त कर दी । 

अग्रवाल परिवार का भावी दामाद बन गया था रवि । लेकिन यह बात रवि को बताई नहीं गई थी । उसके आई ए एस बनने के बाद ही इसकी घोषणा की जानी थी । अब इस घर में उसकी हैसियत एक नौकर की नहीं रही थी, दामाद की हो गई थी । 


रवि ने भी दिन रात एक कर दिए । प्रिलिम्स की परीक्षा हो गई । उस दिन बहुत खुश था रवि । पेपर बहुत अच्छा गया था उसका । पास तो होना ही था उसे , यह विश्वास था उसे । घर आते ही मेन्स की तैयारी करने लग गया । मृदुला ने कहा "अभी तो परीक्षा देकर आ रहे हो । कम से कम आज तो आराम कर लो" । 

रवि ने कहा "हनुमान जी ने कहा था कि जब तक मैं प्रभु राम का काम पूरा नहीं कर लूं तब तक मुझे विश्राम कहाँ है ? इसी तरह जब तक मैं आई ए एस नहीं बन जाता हूँ, तब तक मुझे भी विश्राम कहाँ है" ? 

"ओह रवि । आज तो हम लोग एक मूवी देखने चलेंगे और बाहर ही खाना खायेंगे । फिर तुम आराम से सो जाना । कल से मेन्स की तैयारी शुरू" । 

"नहीं मृदुला जी । ये कल कभी नहीं आता है । जो लोग कल पर काम छोड़ देते हैं उनका काम कभी भी पूरा नहीं होता है । आज में ही जिंदा रहना चाहिए सबको । मैं कल से नहीं आज से और अभी से मेन्स की तैयारी शुरू कर रहा हूँ । अच्छा, अब आप जाइए और मुझे पढ़ने दीजिए" । 


मृदुला को एक बार तो बहुत बुरा लगा । आज उसका मन था मूवी देखने का और किसी अच्छे रेस्टोरेंट में डिनर करने का । मगर रवि ने उसके अरमानों पर पानी फेर दिया था । लेकिन उसे यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि रवि मेन्स के लिए कितना गंभीर है । रवि की यह बात उसे बहुत पसंद आई । मौज मस्ती करने के लिए बहुत उम्र पड़ी है , अभी तो तपस्या करने के दिन हैं । रवि के साथ साथ उसे भी तपस्या करनी पड़ेगी । 


रवि मेन्स की तैयारी में जुट गया । तीन चार लड़कों का एक समूह बना लिया था उसने । वे सब मेन्स की तैयारी कर रहे थे । सब के सब आशान्वित थे कि प्रिलिम्स निकालने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं आयेगी । थोड़े दिनों बाद प्रिलिम्स का रिजल्ट भी आ गया । रवि के साथ उसके ग्रुप के सब लड़के भी पास हो गए थे । पहली बाधा पार हो चुकी थी । पूरे घर में उत्सव का सा माहौल था । मृदुला की खुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं था । आज उसने एक बार फिर से बाहर चलने की ख्वाहिश रखी थी लेकिन आज भी रवि ने मना कर दिया । हां, मगर एक वादा कर दिया कि जिस दिन मेन्स खत्म हो जाएंगे, उस दिन मूवी भी देखेंगे और बाहर खाना भी खाएंगे । रवि की मेहनत, दृढ निश्चय, समर्पण, लगन को देखकर मृदुला को यकीन हो गया था कि रवि का चयन इसी प्रयास में ही हो जाएगा । 



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