आपदा
आपदा
सड़कें सुनसान एकदम लगभग खाली, चारों तरफ सन्नाटा था सड़क पर एकाध आदमी कहीं दिख जाता था बाकी पुलिस ही पुलिस और वो भी अपने फुल पवार में । इसके अतिरिक्त अपवाद स्वरूप कुछ बड़े आदमी रोड पर दिखे तो मीडिया सोशल मीडिया के शिकार हुए और या फिर लोगों की मदद करने वालों का दल वो सन् 2020के पहली तिमाही की है जब पूरा विश्व कोरोनावायरस नामक एक भयंकर और लाइलाज महामारी की चपेट में था और जिसका एकमात्र बचाव था सावधानी बरतना।उस समय हमारे प्रधानमंत्री हुआ करते थे आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी और उन्होंने ही लाकडाऊन की घोषणा की थी।'
' क्या लोग स्वेच्छा से लाक डाउन का पालन कर रहे थे?''
"हां लगभग सभी लोग लेकिन कुछ लोगों के लिए डंडा ददाति विनयम् वाला फार्मूला लागू किया गया था। लोग अपने घरों में एक तरह से कैद थे । केवल अति आवश्यक वस्तुओं की दुकानें कुछ समय के लिए खुलती थी।''
देश का तो बहुत नुक्सान हुआ होगा।''
"हां एक अनुमान के मुताबिक देश जितने दिन बंद रहा उतने साल पीछे चला गया।''
तब तो देश में पूरी तरह शांति रही होगी अपराध का नामोनिशान नहीं।''
"नही पूरी तरह तो नहीं लेकिन फिर भी काफी हद तक अशांति और अपराध में गिरावट आई थी और हां सड़क दुघर्टना की केसेस सुनने में नहीं आई।''अच्छा इस वायरस के फैलने का कारण?''
"लोग तरह तरह की बातें करते थे जितने मुंह उतनी बातें। कुछ लोग ने चीन को, तो कुछ पाक को, और कुछ मजहब के ठेकेदारों ने दूसरे धर्म पर आरोप मढ़ कर अपने धर्म का चेक भुनाने की कोशिश कर रहे थे । यहां तक कि कुछ लोगों ने इसके लिए सत्ता दल को जिम्मेदार ठहराया।''
और आप.....?.''
"जब जब प्रकृति अति सताई जाएगी तब तब धरा पर कयामत ही आएगी।और हां इस बीच प्रकृति इंसानों को परेशान देखकर खुश थी।''
"खुश थी...?'
"हां क्योंकि प्रकृति को नुक्सान पहुंचाने वाले प्रदूषण को उसकी खुराक लगभग छिन चुकी थी ।''
"क्या लोगों के दिल में इसका खौफ था?''
"हां कुछ लोगों के दिल में तो बहुत ज्यादा और लोगों ने इसके निवारण के लिए धार्मिक कर्मकांड भी किया था पर.....। लेकिन धन के मामले में लोग निर्भय थे इस परिस्थिति का हर कोई फायदा उठाकर अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहता था दुकानदार एक सौ रुपए का सामान तीन सौ रुपए में (सरकार से चोरी)बेंचते थे लोगों की मदद के लिए मिलने वाले दान और सामान भी चोरी किया जा रहा था इस मामले में लोग भूल जाते थे कि पता नहीं मैं और मेरा परिवार बचेगा भी या नहीं फिर इस धन का क्या प्रयोजन?''
"अच्छा आपको भी भय लगता था?''
"हां थोड़ा थोड़ा क्योंकि मैंने जब देखा कि देश का मीडिया सोशल मीडिया सिर्फ और सिर्फ कोरोनावायरस की बात कर रही है तो मैंने न्यूज़ लगभग बंद कर दिया और मेरी बात फोन(विशेष रूप से जो अपने परिवार से दूर दूसरे राज्यों में कमाने के लिए गए हुए थे और लगभग एक कमरे में बंद थे) पर जिससे भी होती थी मैंने सबको यही सलाह दी कि न्यूज़ कम से कम कर देखें और लाक डाउन का पालन करते हुए ये हौसला रखें कि उन्हें कुछ नहीं होगा।''
"तो क्या आप भी एक कमरे में बंद थे''
"मैं गांव में रहता था तो हम गांव में लोग से मिल सकते थे और दूर से बात कर सकते थे या खेतों की तरफ जा सकते थे। ' '
"लोगों के लिए आपने क्या किया इस बीच?''
मैं एक समूह का एडमिन था तो जिसमें तीन जिलों से लोग जुड़े थे तो मैंने कहा कि आप लोग अपने आसपास के गांवों में जानकारी करें कि कोई भूखा न रहे अगर कोई भूखा है तो समूह में सूचना दें और सब लोग मिलकर उसकी मदद करें।इस तरह मैंने बच्चों के खाली समय का उपयोग करने के लिए समूह छोटे बच्चों के लिए बनाया था जिसमें आनलाइन चित्र कला गीत संगीत लेखन प्रतियोगिता निशुल्क करवाई जाती थी और विजेता को सम्मान पत्र देकर उत्साह वर्धन किया जाता था।