चाल
चाल
'आज चलकर डैडी से तुम्हारी शिकायत करती हूं जो तुम रोज रोज लड़कियों को छेड़ते हो और आज तुमने अपनी सगी बहन के साथ भी बदतमीजी की।' कहते हुए नेकां ने अपने भाई धर्मेंद्र राना के गाल पर तमाचा जड़ दिया। गाल पर पांचों अंगुलियां अपना निशाना छोड़ गयी। 'प्लीज दी मुझे माफ़ कर दो' आंखों में आंसू लिए रुंधे गले से बोला और फिर दूसरी तरफ मुड़ कर गुस्से में फुफकार मारी- 'एक बार अगर तू मिल जाती तो....'बस इतना ही कह पाया था कि नेकां ने दो तीन तमाचे और जड़ दिए। तब तक दस बारह लोग इकट्ठा हो चुके थे। ' दी मैं आपको पहचान नहीं सका ,प्लीज़ दी माफ़ कर दो।' ' क्या अंधा हो गया था?'' दी प्लीज़ डैडी को मत बताना, मैं वादा करता हूं कि आज के बाद किसी भी लड़की से बदतमीजी नहीं करूंगा' अपने बचाव में कोई उपाय न देख कर उसने इस बार लगभग गिड़गिड़ाते हुए अंतिम हथियार चलाया। यू एस कालेज की लड़कियां उसकी छेड़-छाड़ से अजीज आकर और पुलिस व समाज से निराश होकर उन्होंने नेकां से मदद मांगी ।