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किसी का इंतजार है आज भी वरना छोड़ चुका होता ये शहर
शहर में इतनी बेरुखी है जनाब सायें ही नजर आते है इंसा नहीं ह ...
दिल हो जैसे एक शहर जो आया लौट ना पाया।। कंचन सिंगला
शहर में बढ़ते वृद्धाश्रमों की संख्या से हम अपनी तरक्की माप स ...
डर है, इस कद्र मेरे सवालों से ज़माने को, सवाल करने वाली बुरी ...
जिन्हें अब मेरी ज़रूरत नहीं रही उनके पीछे क्यों समय अपना बर् ...
जो स्पर्श प्रकृति के विशेष सौंदर्य में मिलता है वो कहां शहर ...
जो स्पर्श प्रकृति के विशेष सौंदर्य में मिलता है वो कहां शहर ...
ज़िंदगी कभी धूप कभी छाँव, कभी शहर कभी गाँव कभी हुई नीम कभी ...
गाँव के गालीमहोल्लो की बरकत शहर के ट्राफिक वाले रास्तों में ...
घर दिवारों से नहीं बनता घर में रहने वाले लोगों से बनता है
घर दिवारों से नहीं बनता घर में रहने वाले लोगों से बनता है
वस्तुवादी दुनिया में आज भावना की कोई जगह नहीं, मुर्दों की शह ...
बेटियों से ही आशियाना घर लगता है वर्ना शहर में तो मकानों की ...
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