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ज़िंदगी...
ज़िंदगी कभी धूप...
ज़िंदगी कभी...
“
ज़िंदगी कभी धूप कभी छाँव,
कभी शहर कभी गाँव
कभी हुई नीम कभी बनी शहद..
ठहर ठहर गई कभी बिखर बिखर
इसके बदलने की नहीं कोई पहर..!!
Aishani
”
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