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तेरे हर...

तेरे हर वादे दर्ज होती है, मेरी हर एक कविता में, शब्दों के रूप पे- तुम चाह कर भी इस अपनापन में बस दर्ज़ न कर सके! दर्ज: लिखित दर्ज़: दरार ----प्रियम श्रीवास्तव

By प्रियम श्रीवास्तव
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