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नदियों...
नदियों की कलकल...
नदियों की...
“
नदियों की कलकल में,कोयल की कूक में,
इन्सान के गम और खुशी में,
हार और जीत में ,
कुदरत की इस दुनिया में हर जगह बसा संगीत है ।
सुनीता कश्यप
”
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