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कुछ देर...
कुछ देर...
कुछ देर...
“
कुछ देर पहले..
कुछ देर पहले
बरसात हुई
और
अरमान सारे बह गए।
न जाने
किससे बिछड़ने का गम था
जो आसमान के बादल
रो पड़े।
--काव्यचकोर..✍️
”
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