मेरी यह कविता एक आम आदमी को समर्पित है, जो अब आम से खास हो गया है मेरी यह कविता एक आम आदमी को समर्पित है, जो अब आम से खास हो गया है
तुम जबरदस्ती अपनी अक्ल मुझको मत बांटो। तुम जबरदस्ती अपनी अक्ल मुझको मत बांटो।