मैं तो अकेली तन्हा हूँ फिर, अपनों के होने का मुझको, क्यों अहसास दिलाते हो मैं तो अकेली तन्हा हूँ फिर, अपनों के होने का मुझको, क्यों अहसास दिलाते हो