ज्ञान के तुम सागर हो, डरकर छुपकर संकोच में क्यों रहते हो और मन पर निर्बलता का चोट क्यों सहते हो , नि... ज्ञान के तुम सागर हो, डरकर छुपकर संकोच में क्यों रहते हो और मन पर निर्बलता का चो...