मुझे न अभिलाषा तुलसी की, प्रिय मैं शालिकराम नहीं हूँ। जो अक्षत प्रत्यंचा चाहे, वह अचूक संधा... मुझे न अभिलाषा तुलसी की, प्रिय मैं शालिकराम नहीं हूँ। जो अक्षत प्रत्यंचा च...