तुम फूलों में पली, नाज़ों से बढ़ी, मैं भूला भटका, बैरागी सा एक कवि, ना मुझ में सौंदर्य, ना ही ऐश्वर... तुम फूलों में पली, नाज़ों से बढ़ी, मैं भूला भटका, बैरागी सा एक कवि, ना मुझ में ...