हमने बहुत से पाले है शौक वही ओढ़ते हैं वही बिछाते हैं क्या-क्या आफत समेटते पर सांसों को नही... हमने बहुत से पाले है शौक वही ओढ़ते हैं वही बिछाते हैं क्या-क्या आफत समेटते...