घर-आँगन जो हरा भरा है है किस के, परिश्रम का ये फल, मेरी भार्या जो थके नहीं कभी, पर सोचे हर पल, कितने... घर-आँगन जो हरा भरा है है किस के, परिश्रम का ये फल, मेरी भार्या जो थके नहीं कभी, ...
दादी की राज़दार और दादा की लाडली होती है अपनी भुआ की सहेली दादी की राज़दार और दादा की लाडली होती है अपनी भुआ की सहेली