अब के सावन बरस ऐसे कि बह जाये तेरे साथ मानव मन की कलुषता व पैशाचिकता और हो जाये प़ाक हर दि... अब के सावन बरस ऐसे कि बह जाये तेरे साथ मानव मन की कलुषता व पैशाचिकता और ...