हाँ, हूँ तवायफ मैं, पर वस्त्र के अंदर की रूह से, मैं अब भी पाकीज़ा हूँ, हाँ, मैं अब भी पाकीज़ा हू... हाँ, हूँ तवायफ मैं, पर वस्त्र के अंदर की रूह से, मैं अब भी पाकीज़ा हूँ, हाँ, ...
अब तो पवित्र इश्क को भी यहां लोगो ने, पाकीज़ा नहीं रखा जिस्मानी खेल बना दिया है। अब तो पवित्र इश्क को भी यहां लोगो ने, पाकीज़ा नहीं रखा जिस्मानी खेल बना दिया ...