जीवन भर ये पांचवां साल आता गुजर जाता दे के मलाल! जीवन भर ये पांचवां साल आता गुजर जाता दे के मलाल!
ना रस्मों रिवाजों से सरोकार उनका अपने मन में खुद सरकार है उनका ! ना रस्मों रिवाजों से सरोकार उनका अपने मन में खुद सरकार है उनका !
तभी तो आजादी के बाद से अब तक हिन्दी दिवस/पखवाड़ा मनाते हैं, तभी तो आजादी के बाद से अब तक हिन्दी दिवस/पखवाड़ा मनाते हैं,