उन पँखुड़ियों में से आधी तो अक्सर ज़िम्मेदारियों पर ही झर जाती है उन पँखुड़ियों में से आधी तो अक्सर ज़िम्मेदारियों पर ही झर जाती है
बूँद बनूँ झर जाऊँ बूँद बनूँ झर जाऊँ
उम्र की डोर से फिर एक मोती झड़ रहा है... उम्र की डोर से फिर एक मोती झड़ रहा है...