'न जाने कितनी प्रेम-कहानियाँ बनती, कुछ मंजिल पाती कुछ धूंओं में उड़ जाती, या झिर्रियों में कैद होकर र... 'न जाने कितनी प्रेम-कहानियाँ बनती, कुछ मंजिल पाती कुछ धूंओं में उड़ जाती, या झिर्...