क़ासिद के हाथ दे दो ख़त खुला हुआ ऐसा नहीं लिखा है के चर्चा करें कोई। क़ासिद के हाथ दे दो ख़त खुला हुआ ऐसा नहीं लिखा है के चर्चा करें कोई।