यह कविता हर स्त्री की व्यथा है यह कविता हर स्त्री की व्यथा है
तुम्हारा दंभ, उम्र भर अपने खंडित टुकड़े बीनता रहता है। तुम्हारा दंभ, उम्र भर अपने खंडित टुकड़े बीनता रहता है।