ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
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पहेली सी लगती है,
ये ज़िन्दगी।
न जाने क्यूं?
अनोखी लगती है,
ये ज़िन्दगी।
क्यूं ?
एक कहानी बनती है,
ये ज़िन्दगी।
कभी खुशी;
तो कभी गम देती है,
ये ज़िन्दगी।
एक अजीब सा
दर्द देती है,
ये ज़िन्दगी।
कभी ख्वाबो में;
तो कभी हकीकत में
कसौटी लेती है,
ये ज़िन्दगी।
ज़िन्दगी जीते तो सभी है;
पर किसी-किसी को ही,
सपने साकार होते
देखने देती है ये ज़िन्दगी।