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Jatin Kandpal

Others

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Jatin Kandpal

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यारी की सवारी

यारी की सवारी

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दोस्तों उस समय की बात बताता हूं,

जब हम मिलकर पेड़ के नीचे बैठा करते थे,

खूब हंसते-गाते और रोते थे ,

आओ तुम्हें उस समय की बात बताता हूं।


खूब सपने देखे थे, लेकिन,

कॉलेज से बाहर कदम कहां रखे थे,

खुशहाल थी जिंदगी यारों उस पेड़ के नीचे ही,

कब किसने छत के सपने देखे थे।


हॉस्टल में धमा चौकड़ी मचाना,

कैंटीन में चाय की चुस्की लगाना,

जाने कहां छूट गया वो कॉलेज का फ़साना।


मस्ताने अंदाज़ के साथ वो कॉलेज घूमना,

छुपी नजरों से दिलदार ढूंढना,

जाने कहां खो गया वह दिलकश नज़राना।


सैंटरो कार की वो मस्ती,

जहां यारों की टोली थी बस्ती,

अभी सिमटी ही थी इन रिश्तों की डोरी,

जाने कब कहां कैसे बढ़ गई ये दूरी।


अब जाने कब फिर से होगा ये अफसाना,

सदियों दूर रह गया वो याराना,

लौट के ना आ पाएगा जो पीछे

छूट गया ज़माना,

जो पीछे छूट गया ज़माना।



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