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vidhi kushwaha

Others

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vidhi kushwaha

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यादें

यादें

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अजीब ज़ुल्म करती है तेरी ये यादें, सोचूं तो बिखर जाऊ न सोचूं तो किधर जाऊं।

जिधर जाऊं उधर तुम, जिधर तुम उधर हम।

इस हम और तुम के बीच ये जो दूरी है, हाँ ये कहानी अधूरी है।


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