वसंत ऋतु
वसंत ऋतु
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अब आएगा ऋतुराज वसंत।
शरद नीरव निशि का होगा फिर अंत।
कल कल निनाद प्रतिध्वनि प्रति पल,
सरिता गुजरेगी छम –छम कल– कल।
नीरव निशि में चकोर का करुण क्रंदन,
भानु प्रताप से होगा फिर स्नेह मिलन।
फूटेंगे फिर आम्रबौर नित नूतन,
मधुकर करेगा फिर गुंजन।
पपीहा मिलन राग सुनाएगा,
कोकिल गीत प्रीत के गाएगी।
