वो ही शिवम है
वो ही शिवम है
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अनंत है, रमान्य है,वो आदि है, शिवम भी है,
रौद्र,विशाल रूप से वो करता सबको दंग भी,
सौम्य ह्रद्यरूपी से वो होता सबसे अभिन्न भी,
जटाधरी शिवम के आगे, ना टिक सका कोई अंग भी,
कैलाश पर है बैठा वो,वो शून्य भी ,वो अगिन्न भी,
सदा अनंत अंत शिवा है,काल उसके आधीन भी,
विष का भय जिसे ना हो,वो नीलकंठ निलेश भी,
विषैल बन कर राग गए, भांग पिए और नृत्य भी।
