Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Lalita Meena

Others

3  

Lalita Meena

Others

विषमता

विषमता

1 min
13.8K


मैं ढूँढ रही हूँ, मैं खोज रही हूँ,

एक "भारतीय",

पर न जाने क्यों,

हर कस्बे, हर शहर में,

कोई हिन्दू, कोई मुस्लिम,

कोई ब्राह्मण, कोई दलित,

मिल जाता है। 

न जाने क्यों,

मैं नहीं देख पा रही हूँ,

एक कोरा "भारतीय"। 

मेरा देश बंटा हुआ है 

देश, देश, जो बस भौगोलिक कल्पना है 

इसकी सीमाएं हैं, 

इसके प्रदेश हैं,

नदियां, पर्वत, जमीं और तारे भी हैं 

पर राष्ट्र इंसानों का बनता है,

नागरिकों का बनता है,

और राष्ट्र,

मेरा देश न कल राष्ट्र बना था 

न आज राष्ट्र बन पाया है 

यह मेरी वेदना है। 

क्योंकि मेरा देश बंटा हुआ है 

क्योंकि,

आज़ादी के इतने साल बाद भी 

मेरे कस्बे, मेरा समाज 

धर्म, जाति, समुदायों में बिखरे है ं

क्योंकि,

जात, खून तक नहीं पहुँचती 

धर्म, दिल की धड़कन बन नहीं धड़कता,

खून का रंग तो सबका लाल होता है, 

दिल की बनावट भी सबकी समान होती है। 

तो आओ फिर एक वादा करें,

अपनी भारत माँ से,

कि उसके दिल "हज़ार" टुकड़ों को हम "एक" करेंगे।।

हमें विषमता को समता में 

बदलना होगा,

संकल्प करना होगा,

क्योंकि, संकल्प करने के लिए 

ताकत नहीं, बस मन में विश्वास चाहिए। 

 

 


Rate this content
Log in

More hindi poem from Lalita Meena