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Sudhir Srivastava

Others

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Sudhir Srivastava

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उम्मीद

उम्मीद

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गरीब जीवन भर

खटता रहता है,

उम्मीद से हर दिन

दो चार होता है।

उम्मीद के साये कभी धुँधले

तो कभी चमकदार होते हैं,

गरीब तो बस उम्मीद में ही जीते हैं।

उनकी उम्मीदें ही तो

उनका सहारा है,

उम्मीदें टूटी नहीं कि

गरीब जीवन से हारा है।

उम्मीद की उम्र का पता नहीं,

पर तब जरूर लगता है

जिस दिन गरीब मरता है

उस दिन उम्मीद की

उम्र का आभास होता है।



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