STORYMIRROR

Monika Saini

Others

2  

Monika Saini

Others

ठेले वाला

ठेले वाला

1 min
82

किसी की झिड़क तो किसी के ताने,

किसी की डांट तो किसी के रोब ठिकाने,

मजबूरी में ये भार कन्धों पर ढोता गया,

चार पेट बैठे है भूखे घर में मेरे,

सोच के वो ठेले वाला सब सहता गया, 

इस मोड़ से अगले मोड़,

इस गली से उस गली,

आवाज लगाता गया,

भूख कमाता गया

भूख कमाता गया



Rate this content
Log in

More hindi poem from Monika Saini