तकदीर से तलाक
तकदीर से तलाक
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ले तकदीर से तलाक
तू चल अबकी बार
रगड़ के हथियों के तार
जला के धूल का पहाड़
दे उसे पत्थर का आकार
ले तकदीर से तलाक
तू चल अबकी बार
खींच ले आंधीयों को सांसों मे
सुलगा सपनों को फिर से आँखों मे
चौंधिया जाए सूरज भी देख इनमे इतना अंगार
ले तकदीर से तलाक
तू चल अबकी बार
इन आंसुओं को मत निकलने दे
इन्हें खुद को लावा मे बदलने दे
फिर छुलसा दे इनसे दुखों का हर प्रकार
ले तकदीर से तलाक
तू चल अबकी बार
सीख ले ले और इन्हें जाने दे
गलतियों को खुद मे घर मत बनाने दे
रेंगते अपने खून को गुस्सा तो दिला एक बार
ले तकदीर से तलाक
तू चल अबकी बार
इस मांस मे थोड़ी आस दबा ले
मेरी और तकदीर के बीच एक दीवार बना ले
तोड़ सके ना जिसे हार का कोई भी वार
ले तकदीर से तलाक
तू चल अबकी बार