सुस्वागतम सुस्वागतम
सुस्वागतम सुस्वागतम
हो गया बसंत ऋतु का आगमन
बसंती रंग में सराबोर है हर मन
अति प्रफुल्लित हैं सब जन जन
आओ सब मिल करें सुस्वागतम
सुस्वागतम सुस्वागतम..
वन उपवन में छायी अनुपम बहार
फूलों ने किया मनमोहक श्रंगार
आनंदित हो झूम रही ड़ार ड़ार
तेरे सृजन को नतमस्तक सृजनहार
सुस्वागतम सुस्वागतम...
पंक्षी विहग सब मीठा गुंजन सुनायें
सूर्ख फूलों पर नन्ही तितली मंडरायें
सप्त सुरों में ये प्रकृति सरगम गाये
अद्भुत ये गान सबके मन को लुभाये
सुस्वागतम सुस्वागतम...
हुए स्वर्णिम पात नवल तरूणाई
झूम झूम कर बहे सुरभित पुरवाई
प्रकृति मदमस्त हो कर ले अँगड़ाईं
सह्स्त्र दिशाओं में हैं ख़ुशियाँ छाई
सुस्वागतम सुस्वागतम...
प्रेम प्रणय की है ये मधुरिम बेला
सौंदर्य का हर ओर पसरा है मेला
ज्यूँ राधा कृष्ण का रास अलबेला
साक्ष्य है वही कण कण में अकेला
सुस्वागतम सुस्वागतम...
मॉं शारदे को सब मिल नमन करें
हंसवाहिनी के चरणों में शीश धरें
वीणावादिनी ज्ञान का उत्थान करें
पद्मआसिने प्रसन्नता का प्रसाद दें
सुस्वागतम सुस्वागतम...
