स्त्री की पुकार
स्त्री की पुकार
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जाति धर्म के मसले ही खास हुए,
मंदिर मस्जिद के पचड़े में
न जाने कितने बात हुए
गुम होती गई एक स्त्री की
चीख पुकार
जैसे एक स्त्री की इज़्ज़त
तार तार करने की बात
अब आम हुए
दुर्गा काली सरस्वती न जाने
किन किन रूपों में
स्त्री को पूज कर जैसे हम
सब महान हुए
अगले ही पल उसकी
लुटती इज़्ज़त की खबर से
हमारी मानवता शर्मशार हुए
कब आएगा वो दिन जब हर
एक स्त्री
सुरक्षा मानवता से घर पाएगी
बस अब बस स्त्रीयों के बलात्कारियों
दी जाने वाली थोड़ी सजा
मारी सहनशीलता के पार हुए।
