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Divya Joshi

Others

4.0  

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सरहद

सरहद

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कानून इस देश में भी है, 

कानून उस मुल्क में भी है,

खुदा के लिए ज़ियारत इस देश में भी है,

ईश्वर के लिए भक्ति उस मुल्क में भी है,

फिर क्यों पैदा किया इस सरहद को!!!


महान सेनानियों को आए दिन फूल चढ़ाते हो,

तो और क्यों तैयारियों में जुटे हो,

उस लहू को तो याद करो मेरे दोनों मुल्कों के बन्दों,

जिनके लहू से बना था हिंदुस्तान,

फिर क्यों पैदा किया इस सरहद को!!!


हया, लहज़ा सब बेचा उस मुल्क ने,

तो तुम कौन से लहज़े में हो,

रोज़ एक मनहूसियत का जन्म, रोज़ एक जवान की मौत,

फिर क्यों पैदा किया इस सरहद को!!!


रोज़ एक मां का अधिकार खोना,

रोज़ एक बहन की राखी का राख राख होना,

रोज़ एक पत्नी का सिंदूर मिटना,

रोज़ एक बेटे के आंसू झलकना,

दिल तो सबके पास है, क्यों चले हो इसको पत्थर बनाने में, 

फिर क्यों पैदा किया इस सरहद को!!!


सुना था पीर और ईश्वर ने इंसान बनाया,

लेकिन आज जाना कि इंसान ने ईश्वर और पीर को बनाया,

तुम्हें तो यह भी नहीं पता कि दर्द क्या होता है जनाब!!!

उस सरहद, उस धरती मां, उस भारत से पूछो,

जो हर दिन लथपथ होती है खून की छींटों से,

फिर क्यों पैदा किया इस सरहद को!!!


क्या तुमने और क्या तुमने उखाड़ लिया सीमा रेखा बना कर,

आतंक का खौफ तो आज भी दिखता है,

और तुम खुद को रखवाले बताते हो इस सरहद के,

पर मालूम न था इस सरहद के पीछे सरहद के रखवाले ही होंगे,

फिर क्यों पैदा किया इस सरहद को!!!


इक रोज़ ऐसा भी होगा की सरहद अपना दम तोड़ेगी,

नहीं झेल सकेगी इतने ज़ुर्म,

फिर चाहे ज़द्दोज़हद हज़ार कर लेना,

नहीं मिलेगी तुम्हे अपनी सरहद,

फिर क्यों पैदा किया इस सरहद को!!!



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