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Pratibha Mahi

Others

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Pratibha Mahi

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सरहद पे देखो गोलियाँ

सरहद पे देखो गोलियाँ

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आज फिर से हैं चलीं, सरहद पे देखो गोलियाँ

खेलते हैं खून से वो वीर बैठे होलियाँ,


हँसते गाते चल दिए वो ले तिरंगा हाथ में

बाँध कर सिर पर कफ़न वो भिड़ गए बन टोलियाँ,


देख दुश्मन भी खड़ा था सामने बुत सा बना

पस्त हो घबरा गया बोले अज़ब सी बोलियाँ,


लाल भारत माँ की ख़ातिर हो चले देखो फ़ना

रह गयीं ख्वाबों से खाली आज माँ की झोलियाँ,


जब ज़नाज़ा वीर का उठने लगा 'माही' मेरे

रह गयीं देखो सिसकती आज कितनी डोलियाँ।



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